coronavirus precautions in india
Coronavirus precautions:
कोरोना का प्रकोपः हाथ भी धोएं लेकिन ध्यान रहे पानी बर्बाद न हो:
कोरोना
के वैश्विक महामारी के रूप में
फैलने के बाद बार-बार लोगों को हाथ धोने
के लिए जागरूक किया जा रहा है।
20 सेकंंड तक हाथ धोने
के लिए प्रेरित किया गया है। यह एक बहुत
अच्छी पहल है, लेकिन इससे पानी की भारी मात्रा
में बर्बाद हो रही है,
जिसकी ओर लोगों का
ध्यान नहीं जा रहा है।
भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
जब
से कोरोना का प्रकोप पूरे
विश्व में फैला है, लोगों को दिन में
कई बार हाथ धोने और घर वापस
आते ही, नहाने की सलाह दी
जा रही है। कोरोना से बचने का
यह एक बहुत ही
बेहतरीन तरीका हो सकता है,
लेकिन इसके साथ ही हम एक
चीज भूल रहे हैं कि पूरी दुनिया
पेय जल संकट से
भी जूझ रही है।
दुनिया भर के विद्वान यह अनुमान लगा रहे हैं कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। ऐसे हालात में लोगों को इस ओर ध्यान देना होगा कि हमारा देश भीषण जलसंकट से जूझ रहा है। 189 देशों में भारत 13वें पायदान पर खड़ा है और ‘डे जीरो’ की कगार पर 17 देश हैं।
आने वाला समय देश के लिए बहुत संकट भरा होगा, इसकी भयाभयता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि 2030 तक हमारे देश के कई शहरों में पानी खत्म हो जाएगा, इसलिए समय आ गया है कि पानी की इस गंभीर समस्या को देखते हुए, मुश्किल हालात में कोराना से भी लड़ना है और पानी भी बचाना है।
कहीं ऐसा नहीं हो कि हम पानी यूं ही बर्बाद कर दें और फिर भविष्य में पानी के लिए तरसें। एक मुसीबत से छुटकारे के लिए किसी दूसरी मुसीबत को ना बुला लें, इसलिए हाथ तो धोएं, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि पानी भी बर्बाद नहीं हो। याद रखिए कि हम ‘डे जीरो’ की स्थिति तक पहुंच चुके हैं। यह भी ध्यान रखें कि आगे आने वाले महीने गर्मियों के हैं, जिसमें पानी की किल्लत और बढ़ने वाली है।
दुनिया भर के विद्वान यह अनुमान लगा रहे हैं कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। ऐसे हालात में लोगों को इस ओर ध्यान देना होगा कि हमारा देश भीषण जलसंकट से जूझ रहा है। 189 देशों में भारत 13वें पायदान पर खड़ा है और ‘डे जीरो’ की कगार पर 17 देश हैं।
आने वाला समय देश के लिए बहुत संकट भरा होगा, इसकी भयाभयता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि 2030 तक हमारे देश के कई शहरों में पानी खत्म हो जाएगा, इसलिए समय आ गया है कि पानी की इस गंभीर समस्या को देखते हुए, मुश्किल हालात में कोराना से भी लड़ना है और पानी भी बचाना है।
कहीं ऐसा नहीं हो कि हम पानी यूं ही बर्बाद कर दें और फिर भविष्य में पानी के लिए तरसें। एक मुसीबत से छुटकारे के लिए किसी दूसरी मुसीबत को ना बुला लें, इसलिए हाथ तो धोएं, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि पानी भी बर्बाद नहीं हो। याद रखिए कि हम ‘डे जीरो’ की स्थिति तक पहुंच चुके हैं। यह भी ध्यान रखें कि आगे आने वाले महीने गर्मियों के हैं, जिसमें पानी की किल्लत और बढ़ने वाली है।
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